Just read through these lines...
Good Morning ...... Mumbai !
This is Jhanvi on World Space Radio.
जाने से पहले, ये है मेरा आज का ख्याल
उन सबके लिये, जो दौड़े जा रहे हैं इस शहर की दौड़ में
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
अगर यही जीना है दोस्तों, तो फिर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फिक्र है, भूल गए भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल के किरदारों का सारा हाल है मालूम, पर माँ का हाल पूछने की फुरसत कहाँ है?
आप रेत में नंगे पाँव टहलते क्यूँ नहीँ?
एक सौ आठ हैं चैनल पर दिल बहलते क्यूँ नहीँ?
इंटरनेट पे दुनिया से तो टच में हैं, लेकिन पड़ोस में कौन रहता है जानते तक नहीँ!
मोबाइल, लैंडलाइन सब की भरमार है, लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुँचे, ऐसा तार कहाँ है?
कब डूबते हुए सूरज को देखा था, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों, शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
अगर यही जीना है दोस्तों, तो फिर मरना क्या है?
Before you close, i have just one question to ask ...
Did you really read each of those lines? Or did you merely watch the video?
If you really had the patience to read ( and ponder over) the linees, you fall in the elite 10% of the people towards whom this message is not directed!
Well, to the rest, you know... that the message does drive home a point !
PS: Thanks to Sushant Sachdeva's Website for these wonderful lines!
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